Attachment Causes Detachment
इस बात को रहीम जी ने भी कितने साफ़ और सुन्दर लफ्जो में कहा हैं कि - रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ी चटकाय। जोड़ी से फिर न जुड़े, जुड़े गाठ पर जाये।।
फरमाते हैं कि -"रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ी चटकाय" .
मालिक से प्यार का रिश्ता एक प्रेम रूपी धागे की तरह हैं जिसे कभी सपने में भी तोड़ने की भूल नही करनी चाहिए लेकिन हम नादान लोग तो उस रिश्ते को हक़ीक़त में भूलने को तैयार रहते हैं। इन दुनियावी रिस्तो की दलदल में फंस कर उस मालिक से प्यार के रिश्ते को नही भूलना चाहिए। क्युकी अगर दुनिया में कोई एक भी रिश्ता सच्चा हैं हैं तो वो उस कुल मालिक का रिश्ता हैं। वो सच्चे परमात्मा का रिश्ता हैं। जो परमात्मा हर पल साँसों सास हमारे साथ रहता हैं। जो एक पल के लिए भी हमें खुद से अलग नही करता और जो हमारे साथ हमेशा रहता हैं। जीते जी भी और मरने के बाद भी। तो कैसे हम उसकी दी पनाह को इन दुनियावी दिखावे से भूल सकते हैं। कभी नही। आगे रहीम जी फरमाते हैं। कि
जोड़ी से फिर न जुड़े, जुड़े गाठ पर जाये।।
कितना सही बयां किया हैं। जैसे धागा अगर एक बार टूट जाता हैं फिर अगर आप किसी तरह से हां ना करके अगर उसे जोड़ भी लेते हो तो वो पहले जैसी बात नही आती हैं क्युकी उस सीधी डोरी में एक गाठ पड़ जाती हैं। वही हाल कुछ परमार्थ का हैं। अगर परमात्मा को सिर्फ आप दिखावा करोगे तो प्यार कभी पूरा नही पा सकते। कही न कही प्यार में कमी दिखती ही रहेगी। और वही से सुख दुःख होने शुरू हो जाते हैं। क्युकी रिस्ता हमेशा उसी के साथ बनता हैं जिस से हम प्यार से रिश्ता बनाना चाहते हैं। और प्यार के साथ रिश्ते की सबसे बड़े कड़ी होती हैं उस रिश्ते को बनाये रखने के लिए समय देना। रिश्ते तो हम मालिक से चाहते हैं लेकिन हम उस रिश्ते को निभाने के लिए हमारे पास समय ही नही हैं तो फिर सभी लोग अच्छे से जानते हैं वो रिश्ता कितना पक्का बन सकता हैं।
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