Wednesday, November 14, 2018

सुबह की अरदास



मेरे शहंशाह ...!!!
झपके न कभी आंख तेरा दीदार करते करते,
थके न कभी हाथ तेरी सेवा काम करते करते
निकले हरदम मुख से तेरा ही शुकराना ,
प्राण भी निकले तेरा नाम सिमरन करते करते
  🙏बक्श लवो !  दातेया ! बक्श लवो !
असी भुलनहार हा दातेया ! बक्श लवो !

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