*एक बार डेरे में दिवाली वाले दिन महाराज जी ने अपने सत्संग के बाद फ़रमाया के भाई डेरा निवासी भी अगर चाहे तां वो अपने घर या अपने रिश्तेदारां दे घर जाके दिवाली मना सकदे हाँ, साढ़े वलों कोई ऐतराज़ नहीं है ,,, शाम नू 4 बजे 90% डेरा निवासी अपने मकान! नू छड गए दिवाली मनोन लई,,, डेरे विच 4 वीर जो बारे ही गुरमुख सन, आपस विच मिले, और सबने किहा के आज कुलमालिक अपनी कोठी विच अकेले हाँ, क्यों न आज अप्पान चारे महाराज जी अगे पेश हो जाइये.. जद चारों वीर महाराज जी अगे पेश होये ते किहा के हज़ूर सच्चे पातशाह अज्ज दिवाली है, गुरबाणी विच आओंदा है के दिवाली साधुअ! दी हर रोज़ ही हुंदी है, पर साढ़ी दिवाली भी आज पूरी कर दो,, और साढ़े ते दया मेहर करदो ! महाराज जी ने फ़रमाया के बेटा रात नू जदद
डेरा निवासी दिवाली मना के आ जान तुसी तद चुप करके इथे आ
जाना, तुहानू सारे दरवाज़े खुले मिलनगे,, ते वो चारे वीर बड़े खुश
हुए, रात दा इंतज़ार करन लगे, जदद रात हुई तां चारे(4) वीर बड़े ही प्यार नाल हुज़ूर दे चुबारे दिया पौड़ियां चढ़ गए,, अगे सारे दरवाज़े खुले ही मिले, जद कमरे विच पहुंचे ता देख के 4 गद्दे बिछे होये सी उसदे उत्ते एक एक चादर सी,, तां हुज़ूर ने किहा बैठ जाओ,, जद्द भजन ते बैठे तां मालिक ने दया मैहर किती तां वो चारों चन्दर्मा मंडल, तारा मंडल ते सूरज मंडल पार कर गए और गुरु दे प्यार विच मस्त हो गए, कुछ घंटिया बाद हज़ूर ने उन्हां दी सूरत निचे उतारी ,, 'ते किहा बेटा आज दी दिवाली तुहाडी असल ते अटल है, हुन तुसीं गुरु दी प्रीत ते
परतीत करके भजन सिमरन करदे रहो,जब वो चारो बाहर आये तां ऊंहा दी अवस्था ही बदल चुकी सी, सो प्यारे वीरो सानु परमार्थक दिवाली मनोन दी कोशिश करनी है सानु
,अंदर विच दिया जलौना है, इसलिए "संत दिवाली नित करे...
राधास्वामी जी l
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